'वैशेषिका' और 'न्यायशास्त्र ' ऐसे दो वैदिक ग्रन्थ रहे हैं जिनमें यहां वहां बाकायदा गुरुत्व सम्बन्धी अवधारणाएं मौजूद हैं। कहा गया है 'तरल और ठोस पदार्थों का अपनी मुक्त अवस्था में (ज़मीं पर ) आ गिरना उनका प्रकृति प्रदत्त सहज गुण है।' गुरुत्व वस्तु (पिंड body )के अपने आवयविक सूक्ष्मतर हिस्सों के बीच भी कार्य करता है। यहां इशारा साफ़ साफ़ अव -परमाणुविक कणों के बीच कार्यरत गुरुव बल की ओर ही है। चाहे वह गुरुत्व बल फिर प्रोटोन और प्रोटोन के बीच हो या न्यूट्रॉन -न्यूट्रॉन और इतर सूक्ष्मतर संरचनाओं के बीच कार्यरत रहता हो। Variois Concepts from Vaiseshika and Nyaya Gurutva (gravity )is the cause of falling of liquids and solids.Gravity acts not only on the body but equally on its finer constituents (Nyaya Kandili ) महर्षि भारद्वाज अपने ग्रंथ 'अंशुबोधिनी ' ,में तीन प्रकार के स्पेट्रम -मापियों का वर्णन करते हैं। यहां प्रकाश के दृश्य अंश (visible light )और अदृश्य अंशों परा-बैंगनी (ultraviolet )और अवरक्त अंश (infrared )की चर्चा उपलब्ध