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ये जीयेंगे तो भारत मरेगा : अरुंधति राय का टोला विचार एक वेशभूषा और नाम अनेक


7:56 pm (1 मिनट पहले)
ये  जीयेंगे तो भारत मरेगा 

अरुंधति राय का टोला विचार एक वेशभूषा और नाम अनेक। 

ये सारे एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं :कश्मीरी अलगाववादी ,नक्सली ,माओवादी ,सीपीआई ,सीपीआई (एम् ),रक्तरँगी वाम पंथी इतिहासखोर रामचंद्र गुहा , अरुंधति राय ,सागरिका घोष ,प्रशान्त भूषन ,और ऐसे ही इनके और संगी साथी।
इन्होनें देश को तोड़ने की अपने तरीके से बहुबिध कोशिश की है। रामचंद्र गुहा जैसों ये  जीयेंगे तो भारत मरेगा 

अरुंधति राय का टोला विचार एक वेशभूषा और नाम अनेक ने आपात काल में आरएसएस के योगदान अवदान और अभिव्यक्ति को बहाल करवाने में सहने न सहने योग्य कष्टों को हँसते हँसते झेलने की अवमानना तथा हेटी अपनी पूरी सामर्थ्य से की। जबकि इस संस्था के २५००० लोग मीसा में बंद कर दिए गए थे। कुल ३०००० लोगों को इस फतवे ने बंद कर रखा था भारत की जेलों में। एक लाख तीस हज़ार  आंदोलन कार्यों में से एक लाख आरएसएस से थे। कथित भारतीय साम्यवादी दाल ने १९६२ के चीनी हमले का समर्थन किया था इसके समर्थन में पश्चिमी बंगाल में ट्रांसपोर्ट स्ट्राइक करवाई थी माननीय ज्योति वसु को भी धर लिया गया था। चीन के समर्थक समूह से कालान्तर में इसके बाद ही सीपीआईएम अलग हुआ था। आज एक बार से फिर दोनों गड्डमगड्ड हैं। मार्क्सवादी साम्य वादी साल का असल अर्थ अब माओवादी हो गया है। आज़ादी की लड़ाई में इन रक्तरँगी लेफ्टीयों का  रोल संदेह के दायरे में था इससे पूरा मुल्क वाकिफ है।  

ये तमाम लोग एचआईवी -एड्स वायरस की तरह अपना बाहरी आवरण (प्रोटीन कोट )लगातार बदलते रहते हैं। कहीं ये सोशल एक्टिविस्ट हैं कहीं मानवाधिकारवादी लेकिन एक ही विचार के पोषक हैं एक ही लक्ष्य है इनका भारत का विखंडन। मोदी तो बहुत छोटी चीज़ हैं इनका विरोध भारत भाव के विचार  से है। 

ये तमाम किस्म के प्राणी भारत को एक कृत्रिम देश विभिन संस्कृतियों का ज़बरिया संघठन ही मानते हैं।मूल या उद्गम नहीं मानते सदानीरा सर्वसमावेशी संस्कृति का भारत को ये लेफ्टिए ये तमाम मूल धारा से उलट वाममार्ग पे चलने वाले ।  इन की तमाम कोशिशें भारत देश का विखंडन हैं इनका पोषक है जेहादी तत्व। 

इन्हें ये मुगालता है भारत को तोड़के ये बचे रहेंगे।इनके पालक जेहादी सबसे पहले इन्हें ही गोली मारेंगे ,सबको एक पात में खड़ा करके।जितना जल्दी इसे ये बूझ लें उतना ही इनका और देश का भला है। वरना ये तो मारे ही मारे जाएंगे। 

विशेष :दोस्तों लेफ्टीयों  ने देश के विभाजन से पूर्व १९४६ में मुस्लिम लीग के साथ -साथ , भारत के विभाजन का प्रस्ताव पारित किया था । आज इन भकुओं ने बेगूसराय से जनेऊ फेम के कन्हैया को चुनाव लड़वाने की मंशा जाहिर करके अपने पत्ते खोल दिए हैं। अरुंधति का ट्वीटर पर इन दिनों प्रलाप काबिले गौर है। ये चेतावनी है भारत धर्मी समाज के लिए ,२०१९ में कौन से तत्व इस चुनाव में कूदने वाले हैं। तमाम जेहादी समर्थक तत्व ही इन दलों की और  से मैदान जंग में उतारे जायेंगें जिनका हमने ज़िक्र किया है। इनका सरयू तट पर तर्पण करना है। 

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